Thursday, 23 November 2017

"लोकबंधु राजनारायण - समाजवादी योद्धा"

आज लोकबंधु राजनारायण की 100वीं सालगिरह में हम जी रहे हैं। 31 बरस हुए उनका शरीर हुए। राजनारायण शब्द में ही मानों भगवान विष्णु का स्मरण हो आता हो, जो अपनी संतति को समान प्रकार से जीवन दायिनी संरक्षण प्रदान कर रहे हों। लोकबंधु की उपाधि इस पावन नाम में चार चांद लगा देती है। लोकबंधु की परिभाषा भी वैसा ही इशारा करती है जो राजनारायण की।

आदरणीय रामधारी सिंह दिनकर जी की पंक्तियाँ हैं

    " सिंघासन खाली करो कि जनता आती है"

ऐसा सिद्ध किया राजबन्धु राजनारायण जी ने।जब आयरन लेडी कही जाने वाली भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को उनके प्रत्येक क्षेत्र में परास्त करते हैं चाहे वह विधायिका हो या न्यायपालिका। सबसे जीतकर कार्यपालिका को समाज को सौंपते हैं और लोकतंत्र की नींव को ओर मजबूत करते हैं समाजवादी लोकबंधु राजनारायण।

जब-जब इस विश्व में असमानताओं ने जन्म लिया व्यक्तिवादी सोच के कारण, पूंजीवाद के हावी होने के कारण तब-तब समाजवादी शक्तियां मुखर हुईं और समाज में समानता, बंधुत्व और स्वतंत्रता पूर्ण माहौल की स्थापना हेतु प्रखर हुईं। समाजवादी विचारधारा के लोग "सबका साथ-सबका विकास" "सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय" की भावना से पूर्ण होते हैं।समग्र विश्व, हमारी "विभिन्नताओं में एकता" और "समाजवादी राजनीतिक-सामाजिक" नीतियों के कारण हमें सम्मान भरी नज़रों से देखता है। समाजवादी विचारधारा, सच्ची इंसानियत की परिभाषा है जो समानता के साथ मिल-बाँट कर खाने और समाज के प्रति आस्थावान होने में विश्वास रखती हैं।

इसी प्रकार के समाजवादी ध्वज को समाज के प्रति प्रखर ओर मुखर रखने का काम राजनारायण जी करते रहे। आज राजनीति जब व्यवसायीकरण, वाणिज्यीकरण और अपराधीकरण की ओर बढ़ती नज़र आती है तब राजनारायण जी बहुत याद आते हैं।चाहे विद्यार्थियों, शिक्षकों पर डंडे बरसाने की बात हो या फिर सर्वहारा के अधिकार हनन की लोकबंधु हर आयाम पर प्रासंगिक हो उठते हैं।

मैं राजनारायण जी की 100वीं सालगिरह पर उन्हें इसी प्रकार याद कर श्रद्धाजंलि अर्पित करता हूँ। आशा करता हूँ कि दोबारा देश में समाजवाद स्थापित होगा जिसमें समाज के पास निर्णयन शक्तियां होगीं, राजनीति तानाशाही मुक्त होगी। हमारे हिंदुस्तान के राजनैतिक सिद्धान्तों की परिपाटी जीवित रहेगी।

ऐसे पावन मौके पर मैं अपनी एक कविता के माध्यम से युवाओं को जाग्रत करना चाहता हूँ -