राजनैतिक परिप्रेक्ष्य में हिंदुत्व पर काम करने वाले संगठनों और दलों पर अक्सर ये इल्ज़ाम आता है कि भगवान राम के नाम का राजनीतिकीकरण कर दिया पर मैं समझता हूँ कि इसे विपक्ष ने भगवान राम को सदैव राजनीतिक दृष्टि से ही देखा है। 1990 में मंदिर का पट खुलना और आम लोगों को एक दूरी से भगवान के दर्शन की अनुमति जब राजीव सरकार ने दी तो साथ ही तुष्टिकरण की राजनीति सिद्ध करने के लिए कुछ समय बाद पी.वी नरसिम्हा सरकार भाजपा शासित प्रदेशों में सरकार बरखास्तगी के आदेश देती है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भी जब पुरानी राष्ट्रीय पार्टी के "तथाकथित युवा" और राष्ट्रीय अध्यक्ष जनेऊ पहनकर अपनी बहनजी के साथ मंदिर मंदिर घूमने का दिखावा चुनाव तक सीमित करते हैं तो वास्तविकता में इस अंग्रेज़ी पार्टी का चेहरा निकल कर सामने आता है और जनता भी समझ जाती है कि ये केवल राजनैतिक राम-राम और श्याम-श्याम है। श्याम-श्याम से याद आया कि अभी तक युवा अध्यक्ष कान्हा दर्शन करने वृंदावन गलियों में नहीं गए। शायद अगर गए होते तो देख पाते पिछले दशकों से उनके परबाबा, दादी, पापा और मम्मी की सरकार ने वहां की गलियों का चौड़ीकरण किया है और वहां की सैनिटेशन व्यवस्था को कितना समर्थ मजबूत किया है।
हालांकि ये ज़िम्मा वर्तमान सरकार हिंदुत्व राष्ट्रवादी सरकार का भी है कि जो काम छूट गए हैं उन पर ध्यान दे क्योंकि ये देश ग्रामीण अंचल, आस्था और अध्यात्म से समृद्ध देश है।सोमनाथ से बात शुरू होती है तो ये केवल राम मंदिर निर्माण से पूर्ण नहीं होती। ये कृष्ण जन्मभूमि, जम्मू कश्मीर में खंडित मंदिर और प्रत्येक स्थल जहां जहां नापाक हाथों ने आध्यात्मिक आस्था को शिकस्त देने का प्रयास किया है हर उस स्थल के जीर्णोद्धार तक पहुंचती है। लोगों ने अपनी आस्था सरकार में व्यक्त की अब सरकार को चाहिए कि अपनी आस्था लोगों की आस्था में व्यक्त करे।
भारत में धार्मिक स्थल केवल आध्यात्म का विषय नहीं हैं अपितु ये पर्यटन, अर्थव्यवस्था, रोजगार, रचनात्मकता , सभ्यता-संस्कृति, राष्ट्र जागरण को दशा-दिशा प्रदान कर्म वाले स्तम्भ हैं। सरकार चाहे कोई भी हो पर सरकार को इनके सुंदरीकरण को लक्षित करना चाहिए। जिस प्रकार हिंदुस्तान की अर्थव्यवस्था का बड़ा भाग कृषि से सम्बद्ध उसी प्रकार जन-चेतना, कार्य-प्रेरणा का आयाम धार्मिक स्थलों से सीधा संबद्ध है।
आवश्यता है आज स्वयं को जगाते हुए देश के जागरण की ताकि भारत माता का गौरव परम वैभव को प्राप्त करे।
और "स्वयं अब जागकर हमको जगाना देश है अपना" की पंक्तियां अपना मूर्त रूप ले सकें क्योंकि "राजनैतिक राम- राम और "श्याम-श्याम" की ये देश "राजनैतिक राम राम" ही करता है।
जय हिंद जय भारत